लिंग और वाक्य मे अशुद्धियाँ हिंदी सेट -3
SSC GD के लिए महत्वपूर्ण प्रश्नोतर
लिंग
शब्द की जाति लिंग कहलाती है। संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु के नर अथवा मादा जाति का पता चलता है, उसे 'लिंग' कहते हैं। संस्कृत में संज्ञा के तीन भेद बताये गए हैं। ये हैं — पुल्लिंग, स्त्रीलिंग तथा नपुंसक लिंग | हिन्दी में शब्दों को दो लिंगों में रखा गया है। यहाँ नपुंसक लिंग नहीं है। हिन्दी में सारे जड़ अथवा चेतन शब्द पुल्लिंग तथा स्त्रीलिंग दो लिंगों में विभक्त हैं।
हिन्दी में लिंगों की अभिव्यक्ति वाक्यों में होती है। वाक्य प्रयोग द्वारा संज्ञा शब्दों के लिंग का भेद स्पष्ट होता है। वाक्यों में लिंग, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया तथा कारक की विभक्तियों में विकार से उत्पन्न होता है।
लिंग- निर्णय
सर्वनाम में विकार से मेरी घड़ी सुन्दर है। ('घड़ी' स्त्रीलिंग के कारण सर्वनाम में विकार उत्पन्न हुआ )
मेरा मकान अच्छा है। ('मकान' पुल्लिंग है)
विशेषण में विकार से
वह बड़ा मकान है। वह बड़ी घड़ी है।
क्रिया में विकार से
रोटी जली है। (जलना में विकार 'रोटी' स्त्रीलिंग के कारण) बुढ़ापा आ गया ('बुढ़ापा' पुल्लिंग के अनुसार क्रिया)
विभक्ति में विकार से
गुलाब का लाल रंग सुन्दर है। उसकी नाक कट गई।
0 Comments