समास और उनके भेद प्रश्नोत्तर सहित ( SSC GD के लिए महत्वपूर्ण)
समास :-का अर्थ 'संक्षिप्त' होता है। कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक
अर्थ प्रकट करना 'समास' का लक्ष्य होता है। वस्तुतः दो या दो से अधिक
शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले शब्दों अथवा प्रत्ययों का लोप होने पर
जो नया शब्द बनता है, उसे सामासिक शब्द अथवा सामासिक पद
कहते हैं।
दो या दो से अधिक शब्दों अथवा पदों के संयोग को समास कहा जाता है।
'सामासिक शब्द' अथवा 'पद' को अर्थ के अनुकूल विभाजित करना 'विग्रह '
कहलाता है।
*सामान्यतया समास के चार भेद होते हैं*
1. अव्ययीभाव समास
जिस सामासिक पद का पूर्वपद प्रधान हो तथा सामासिक पद अव्यय हो, उसे अव्ययीभाव कहते हैं। इस समास में सम्पूर्ण पद क्रिया विशेषण अव्यय हो जाता है; जैसे प्रतिदिन, यथासम्भव, आमरण इत्यादि ।
2. तत्पुरुष समास:-तत्पुरुष समास का अन्तिम पद प्रधान होता है। ऐसे समास में प्रायः प्रथम पद विशेषण तथा द्वितीय पद विशेष्य होता है। द्वितीय पद के विशेष्य होने के कारण समास में इसकी प्रधानता होती है।
ऐसे समास तीन प्रकार के है- तत्पुरुष, कर्मधारय तथा द्विगु तत्पुरुष के छः भेद
हैं। ये हैं-कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध तथा अधिकरण तत्पुरुष समास कर्मधारय तथा द्विगु तत्पुरूष के भेद हैं।
3. बहुव्रीहि समास
जहाँ दोनों पदों को छोड़कर अन्य पद की प्रधानता हो, वहाँ बहुव्रीहि समास होता है।
4. द्वन्द्व समास
द्वन्द्व समास में सभी पद प्रधान होते हैं। इस समास के दोनों पदों के बीच में योजक चिह्न लगा होता है; जैसे-और, या, अथवा आदि ।
द्वन्द्व समास के तीन भेद होते हैं—1. इतरेत्तर द्वन्द्व 2. समाहार द्वन्द्व 3. वैकल्पिक द्वन्द्व।
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