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वैदिक काल

 वैदिक काल


● सिन्धु घाटी सभ्यता के पतन के पश्चात् भारतीय उपमहाद्वीप में वैदिक काल का आगमन हुआ। इसका कालक्रम 1500 ई. पू. से 600 ई. पू. माना जाता है।


• वैदिक काल को ऋग्वैदिक काल (1500-1000 ई. पू.) तथा उत्तर वैदिक काल (1000-600 ई. प.) में विभाजित किया जाता है।


• वैदिक संस्कृति के संस्थापक आर्यों को माना जाता है। आर्य शब्द का अर्थ होता है- श्रेष्ठ, उत्तम अभिजात्य, कुलीन आदि।


• ईरानी पुस्तक जेन्दावेस्ता तथा बोगजकोई अभिलेख में आर्यों को ईरान


का बताया गया। मैक्स मुलर ने आर्यों को मध्य एशिया का निवासी कहा


ऋग्वैदिक काल


• इस काल की जानकारी का मुख्य स्रोत ऋग्वेद है। आर्यों ने जिस विस्तृत क्षेत्र का निर्माण किया उसे सप्त सैन्धव प्रदेश कहा गया।


• ऋग्वैदिक समाज पितृसत्तात्मक था। परिवार के मुखिया को कुलप कहा जाता था। पिता परिवार का मुखिया होता था।


महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार था। अपाला, सिक्ता, घोषा, विश्ववारा, लोपामुद्रा इस काल की विदुषी महिलाएँ थी।


• राजनीतिक व्यवस्था की संरचना कबीलाई थी। सम्पूर्ण कबीला जन कहलाता था तथा कबीले का प्रधान राजन होता था। 

• ऋग्वैदिक काल में इन्द्र महत्त्वपूर्ण देवता थे. इन्हें ऋग्वेद में पुरन्दर कहा गया है। इन्द्र के लिए ऋग्वेद में 250 सूक्त हैं। वरुण को ऋतस्यगोपा कहा गया है। 

• ऋग्वेद में सर्वाधिक पवित्र नदी सरस्वती को 'नदीतमा' कहा गया है। 'सत्यमेव जयते' मुण्डकोपनिषद से तथा असतो मा सद्गमय ऋग्वेद से लिया गया है।

• इस काल में मारूत (आंधी-तूफान के देवता) द्यौ (आकाश का देवता) सोम (वनस्पति देवता), पूषन (पशुओं का देवता प्रमुख देवता थे।


• गाय को मुद्रा के परिचायक के रूप में जाना जाता था। इसे अपन्या (न मारने योग्य) माना जाता था। जुते हुए खेत को 'उर्वरा, पशुचारण योग्य भूमि को 'खिल्य' हल को. 'सीत' हल रेखा को 'सीता' कहा जाता था।


• वस्तु विनिमय प्रणाली प्रचलित थी, निष्क तथा शतमान नामक सिक्कों का प्रचलन था।


उत्तर वैदिक काल


• इस काल की जानकारी के मुख्य स्रोत यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद है। इस काल में आर्य पंजाब से कुरुक्षेत्र अर्थात् गंगा-यमुना दोआब में फैल गए थे। 

• इस काल में राजा का पद वंशानुगत होने लगा। ऋग्वैदिक कबीला 'जन' जनपद में बदल गया।


• उत्तर वैदिक काल में के स्थान पर प्रजापति सर्वाधिक प्रिय देवता बन

गए। विष्णु को मनुष्य जाति के दुःखों का अन्त करने वाला माना गया। • इस काल में पूषन शुद्रों के देवता के रूप में प्रचलित हुए। पंच महायज्ञ


(ब्रह्म, देव, पित, नृयज्ञ, भूत) का प्रचलन आरम्भ हुआ। उत्तर वैदिक काल में ही सर्वप्रथम लोहे का साक्ष्य 1000 ई. पू. में उत्तर प्रदेश के अतरंजीखेड़ा से प्राप्त हुआ।

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