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उद्योग:नई औद्योगिक नीति 1991 worksheet

 उद्योग- topic for exams 

New industrial policy 1991

• किसी भी देश में उद्योगों का विशेष महत्त्व होता है, वे नई आवश्यकताओं के लिए नए प्रकार के उत्पाद एवं सेवाएँ अर्थव्यवस्था में लाते हैं। उद्योग के कारण गुण वाले पदार्थ सस्ते दामों पर प्राप्त होते हैं, जिससे लोगों के रहन-सहन के स्तर में सुधार होता है।



• स्वतन्त्रता के पश्चात् देश की प्रथम औद्योगिक नीति की घोषणा 6 अप्रैल, 1948 में तत्कालीन उद्योग एवं वाणिज्य मन्त्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा की गई थी। इस नीति में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सह-अस्तित्व को स्वीकार किया गया। इस नीति में मिश्रित अर्थव्यवस्था कायम करने का सुझाव दिया गया।


• वर्ष 1948 की औद्योगिक नीति में उद्योगों को चार भागों में वर्गीकृत किया गया था।


देश की दूसरी औद्योगिक नीति की घोषणा 30 अप्रैल, 1956 में की गई थी, इस नीति में उद्योगों को कुल तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया। इस नीति के अन्तर्गत सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार, सहकारी क्षेत्र का विकास एवं निजी एकाधिकारों पर नियन्त्रण जैसे उद्देश्य शामिल थे। 

• इस नीति को भारत का आर्थिक संविधान कहा जाता है।

• औद्योगिक नीति 1973 में मूलभूत उद्योग (कोर उद्योग) की विचारधारा को अपनाया गया। कोर उद्योग वैसे उद्योग होते हैं, जो अन्य उद्योगों के विकास के लिए मूलरूप से महत्त्वपूर्ण होते हैं; जैसे- लोहा, इस्पात, सीमेन्ट आदि।


वर्ष 1977 की औद्योगिक नीति में मुख्य रूप से लघु एवं कुटीर उद्योगों की स्थापना पर विशेष बल दिया गया एवं लघु उद्यमकर्ता की सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिला उद्योग केन्द्र की स्थापना की गई।


औद्योगिक नीति 1980 इस नीति के तीन मौलिक उद्देश्य निर्धारित किए गए थे- आधुनिकीकरण, विस्तार और पिछड़े क्षेत्रों का विकास। इस नीति में सार्वजनिक उद्यमों (Public Enterprises) ke कुशल प्रबन्धन पर बल दिया गया। 


**नई औद्योगिक नीति 1991**


• इस औद्योगिक नीति को व्यापक आर्थिक सुधारों के तहत लागू


जिसके अन्तर्गत औद्योगिक लाइसेंसिंग नीति एकाधिकार तथा प्रतिबन्धात्मक व्यापार, व्यवहार, सार्वजनिक क्षेत्र में व्यापक बदलाव किया गया। वर्तमान में केवल 5 उद्योग ऐसे हैं, जिनके लिए लाइसेंस लेना आवश्यक है, जैसे- इलेक्ट्रॉनिक, एयरोस्पेस, बारूद, खतरनाक रसायन, तम्बाकू तथा

मादक पेय पदार्थों से सम्बन्धित उद्योग।


नई आर्थिक नीति के तीन प्रमुख आयाम थे-निजीकरण (Privatization), उदारीकरण (Liberalization) व वैश्वीकरण (Globalization)।

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*मिनी रत्न योजना*


वर्ष 1997 में इसकी शुरुआत की गई थी


*इसमें दो श्रेणियाँ बनाई गई हैं*


(i) पहली श्रेणी में किसी एक वर्ष में ₹30 करोड़ से अधिक मुनाफे के साथ लगातार तीन वर्षों तक मुनाफा कमाने वाली कम्पनी शामिल है। (ii) दूसरी श्रेणी में लगातार 3 वर्षों तक मुनाफा कमाने वाली कम्पनियों को रखा जाता है।


*नवरत्न कम्पनियाँ*


• नवरत्न ऐसी कम्पनियाँ हैं, जो विश्वस्तरीय कम्पनियों के रूप में उभर रही हैं तथा जिसे सरकार ने प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की है। इसे वर्ष 1997 में प्रारम्भ किया गया था।


*वर्तमान में कुल 16 नवरत्न कम्पनियाँ हैं*


• महारत्न योजना की शुरुआत वर्ष 2009 से की गई थी, जिसका उद्देश्य बड़े आकार के नवरत्न उपक्रमों के बोर्ड को अधिक स्वायत्तता सौंपना है, जिससे उपक्रमों का संचालन घरेलू बाजार के साथ ही वैश्विक बाजार में हो सके।


• महारत्न बनने के लिए कम्पनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध हो तथा पिछले तीन वर्षों में कम्पनी का औसत कारोबार ₹20,000 करोड़ रहा हो एवं कम्पनी ने ₹2500 करोड़ का औसत शुद्ध लाभ प्राप्त किया हो।


*वर्तमान में 8 महारत्न कम्पनियाँ हैं।


•भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (SAIL)


•तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC)


•भारतीय तेल निगम (IOC)


•राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) कोल इण्डिया लिमिटेड (CIL)


• भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL)


•भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड (GAIL)


• भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL)


•भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) को सितम्बर, 2017 महारत्न का दर्जा प्रदान किया गया।


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