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भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन

  भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन की शुरुआत कांग्रेस की स्थापना (1885 ई.) से माना जाता है। यह आन्दोलन 1947 ई. में भारत की आजादी के साथ समाप्त हुआ


भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस


इसकी स्थापना 1885 ई. में सेवानिवत ब्रिटिश अधिकारी ए.ओ. ह्यूम के द्वारा की गई थी। पहले इसका नाम 'इण्डियन नेशनल यूनियन' था। दादा भाई • नौरोजी ने इस संस्था का नाम 'इण्डियन नेशनल कांग्रेस कर दिया।


भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला अधिवेशन दिसम्बर, 1885 में बम्बई के गोकुलधाम तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुआ। • प्रथम सम्मेलन की अध्यक्षता व्योमेश चन्द्र बनर्जी ने की थी। इनमें कुल 72


प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। • लार्ड डफरिन ने कांग्रेस को 'सूक्ष्मदर्शी संस्था' कहा था, जबकि कर्जन ने कहा था- "कांग्रेस अपने पतन की ओर लड़खड़ाती हुई जा रही है।"


लैण्ड होल्डर्स सोसायटी (1838 ई.), ब्रिटिश इण्डियन एसोसिएशन


(1851 ई.) ईस्ट इण्डियन एसोसिएशन (1866 ई.), इण्डिया एसोसिएशन


(1876 ई.) कांग्रेस से पूर्व की संस्थाएँ थी।

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बंगाल का विभाजन तथा स्वदेशी आन्दोलन


• लॉर्ड कर्जन द्वारा 20 जुलाई, 1905 को बंगाल विभाजन को घोषणा की गई जो 16 अक्टूबर, 1905 से प्रभावी हो गया।


• बंगाल विभाजन के विरोध में स्वेदशी आन्दोलन 7 अगस्त, 1905 से प्रारम्भ हुआ। 16 अक्टूबर, 1905 को शोक दिवस एवं रक्षाबन्धन दिवस के रूप में मनाया गया।


कांग्रेस के 1906 के कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षता करते

हुए दादाभाई नौरोजी ने पहली बार स्वराज्य की माँग प्रस्तुत की।


स्वदेशी आन्दोलन के दौरान रविन्द्रनाथ टैगोर ने 'आमार सोनार बांगला' नामक गीत लिखा था, जो बाद में बांग्लादेश का राष्ट्रीय गीत बनना।


मुस्लिम लीग का गठन तथा कांग्रेस का विभाजन


सलीमुल्ला खाँ एवं आगा खाँ के नेतृत्व में 1906 ई. में मुस्लिम लीग (ढाका) की स्थापना हुई।


मुस्लिम लीग के प्रथम अध्यक्ष 'वकार-उल-मुल्क मुश्ताक हुसैन थे। नवाब सलीमुल्ला खाँ इसके संस्थापक अध्यक्ष थे।


स्वदेशी आन्दोलन चलाने के तरीके को लेकर कांग्रेस 1907 में सूरत अधिवेशन में उग्रवादी (गरम दल) एवं उदारवादी (नरम दल) में विभाजित हो गई।


• कांग्रेस के सूरत अधिवेशन (1907 ई.) को अध्यक्षता रासबिहारी बोस ने की थी।


राजधानी परिवर्तन


• ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम का 1911 ई. में दिल्ली आगमन हुआ, जिसके स्वागत में भव्य दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया।


• इस आयोजन में बंगाल विभाजन रद्द करके राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानान्तरित करने की घोषणा हुई। 1 अप्रैल, 1912 को दिल्ली राजधानी बन गई।


कामागाटामारू प्रकारण


• यह 1914 ई. में कनाऊ में भारतीयों के प्रवेश से सम्बन्धित विवाद था। • भारत में गुरुदीप सिंह ने कामागटामारू जहाज पर 376 यात्रियों को लेकर कनाडा की ओर प्रस्थान किया, परन्तु कनाडा सरकार ने उतरने से मना कर दिया।


लखनऊ समझौता


● 1916 ई. में मुस्लिम लीग तथा कांग्रेस का संयुक्त अधिकवेशन लखनऊ में हुआ। इसकी अध्यक्षता अम्बिका चरण मजूमदार ने की। • इस अधिवेशन में उग्रवादियों ( गरम दल के नेता) को पुनः कांग्रेस में शामिल किया गया तथा मुस्लिम लीग एवं कांग्रेस के मध्य लखनऊ समझौता हुआ।


होमरूल लीग आन्दोलन


● भारत में सबसे पहले होमरूल लीग की स्थापना 28 अप्रैल, 1916 में बाल गंगाधर तिलक ने बेलगाँव (पूना) में की। इसके अध्यक्ष जोसेफ बेपरिस्टा थे। • स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और में इसे लेकर रहूँगा नारा तिलक ने दिया था।


सितम्बर, 1916 में ऐनी बेसेण्ट ने अखिल भारतीय होमरूल लीग का गठन (मद्रास में) किया। जॉर्ज अरूण्डेल इसके सचिव थे।


चम्पारण, खेड़ा और अहमदाबाद सत्याग्रह 

1915 में महात्मा गाँधी भारत वापस लौटे तथा उन्होंने चम्पारण से अपनी राजनैतिक गतिविधियों का प्रारम्भ किया। • चम्पारण सत्याग्रह (1917 ई.) भारत में गाँधी जी का प्रथम सत्याग्रह था, जो


बिहार के चम्पारण नामक स्थान में प्रारम्भ हुआ था।


• चम्पारण में नील के किसानों की स्थिति तिनकठिया दिया प्रथा के कारण खराब थी। जिसके अन्तर्गत 3/20 के हिस्से पर नील को खेती करना अनिवार्य थी। खेड़ा सत्याग्रह (1918 ई.) की शुरुआत गाँधी जी ने किसानों को उनकी समस्याओं (कर वृद्धि) से निजात के लिए किया था।


• अहमदाबाद सत्याग्रह (1918 ई.) मिल मजदूरों और मिल मालिकों के बीच बोनस के मुद्दे को लेकर गाँधी जी द्वारा प्रारम्भ किया गया था। 



 रौलेट एक्ट तथा जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड 1919 ई. में ब्रिटिश सरकार ने रौलेट एक्ट पारित किया, जिसके प्रावधान था कि बिना किसी प्रमाण के संदिग्ध के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती थी। ● भारतीय नेताओं ने इसे काला कानून माना तथा 6 अप्रैल, 1919 को इसके विरोध में देश में काफी हड़ताल किया गया। रौलेट एक्ट के विरोध के कारण पंजाब के लोकप्रिय नेता सैफद्दीन किचलू तथा सत्यापाल को गिरफ्तार किया गया था। • इस गिरफ्तारी के विरोध में 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला में एक जनसभा आयोजित की गई। जिस पर जनरल डायर ने गोलियाँ चलवा दी। इसमें सैकड़ों लोग मारे गए। इसे जालियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के नाम से जाना जाता है।


जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड की जाँच हेतु सरकार ने हण्टर समिति नियुक्ति की, जिसके सदस्य थे- लॉर्ड हण्टर, जास्टिस रेस्किन, मिस्टर राइस, जॉर्ज वैरो टॉमस स्मिथ, चिमन शीतलवाड, साहबजादा सुल्तान अहमद तथा जगतनारायण ।

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